सर्व समाज समन्वय महासभा द्वारा राजधानी रायपुर में आयोजित प्रांतीय महासम्मेलन ने छत्तीसगढ़ के सामाजिक इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। इस महासम्मेलन में यह ऐतिहासिक घोषणा की गई कि प्रदेश को छुआछूत और जातिवाद जैसी कुप्रथाओं से मुक्त कर सामाजिक समरसता और समानता की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
महासम्मेलन में प्रदेश के सभी प्रमुख समाजों के अध्यक्ष, संत-महात्मा, वरिष्ठ नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए। प्रांत अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजीव वशिष्ठ ने बताया कि “इस आयोजन का मूल उद्देश्य समाज को भेदभाव और जातिगत विषमता से मुक्त करना तथा भाईचारे और एकता की भावना को सशक्त करना है।”
मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि
इस महासम्मेलन के मुख्य अतिथि परम सम्माननीय श्री रामदत्त जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री रामज्ञानी दास महात्यागी जी महाराज (अखिल भारतीय संगठन महामंत्री, दिगंबर अखाड़ा), गुरु मां साध्वी रेणुका जी (राष्ट्र शक्ति आश्रम न्यास, गंगोत्रीधाम) तथा श्री विश्वनाथ बोगी जी (प्रांत सामाजिक समरसता प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, छत्तीसगढ़) उपस्थित रहे।
प्रस्ताव और संकल्प
महासम्मेलन से पूर्व रायपुर, धमतरी, बालोद, महासमुंद, कांकेर, नारायणपुर और बस्तर सहित विभिन्न जिलों में जिला स्तरीय बैठकें आयोजित की गई थीं। इन बैठकों से प्राप्त सुझाव और सहमति को प्रांतीय महासम्मेलन में प्रस्तुत किया गया। लगभग 80–100 समाजों के प्रांतीय अध्यक्षों और वरिष्ठ नागरिकों की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ को छुआछूत और जातिवाद से मुक्त करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया।
विविध समाजों की भागीदारी
महासम्मेलन में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग सहित सभी समुदायों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए। अनुसूचित जातियों में बंजारा, महली, मुरिया, पासी, बैगा आदि; जनजातियों में गोंड, मुरिया गोंड, बस्तर गोंड, भोटिया आदि; ओबीसी में कुशवाहा, कुम्हार, लोधा, गड़वार आदि; और सामान्य वर्ग में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य समुदाय के लोग शामिल हुए।
आयोजन और मार्गदर्शन
प्रांतीय मार्गदर्शक मंडल में डॉ. उदयभान सिंह चौहान, सांवला राम डाहरे, लता ऋषि चंद्राकर, एस.आर. बंजारे, सुषमा पटनायक समेत कई वरिष्ठ सदस्य शामिल रहे। वहीं आयोजन मंडल में डॉ. डी.के. महंती, पूर्व सैनिक पन्ना लाल सिन्हा, अरुणलता श्रीवास्तव, नीता लवानिया, ठाकुर ऋषिकेश सिंह सहित 30 से अधिक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिम्मेदारी निभाई।
ऐतिहासिक महत्व
इस महासम्मेलन को छत्तीसगढ़ की सामाजिक एकता और समानता की दिशा में ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है। यहां उपस्थित सभी समाजों के प्रतिनिधियों ने एकस्वर से संकल्प लिया कि छत्तीसगढ़ में भेदभाव और जातिगत विषमता को समाप्त कर स्थायी रूप से समानता, सद्भावना और सामाजिक समरसता को मजबूत किया जाएगा।






