हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे। संगठन का भाव भरते जा रहे ।।
चन्द्रयान मिशन एवं मंगल मिशन की सफलता के मध्यवर्ती योजना के साथ, 89वर्षों से निरंतर कार्यरत, राष्ट्र सेविका समिति के छत्तीसगढ़ प्रांत का प्रवेश वर्ग 12 मई से सरस्वती शिशु मंदिर, सेक्टर-4, भिलाई में गतिशील था। जिसका समापन 27 मई को समिति की प्रमुख संचालिका वंदनीय शांता कुमारी अक्का जी की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में “नारी- शक्ति सम्मान” से अलंकृत छत्तीसगढी लोक कलाकार माननीय रजनी रजक जी का स्वागत प्रांत कार्यवाहिका माननीया प्राजक्ता देशमुख जी एवं वर्गाधिकारी माननीय सरस्वती गवेल जी ने किया।
माननीय सरस्वती गवेल जी ने वर्ग की विस्तृत जानकारी देते हुए वर्गवृत्त साझा की। उन्होंने बताया कि आठ विभागों से 102 प्रशिक्षिकाओं नें, जिनमें चार जोड़ी माँ-बेटी और दो जोड़ी बहनें, गुरुकुल पद्धति के आधार पर प्रातः 4:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक विविध प्रकार से अपने आत्मविश्वास को बढ़ाते हुए स्वावलंबन एवं स्वसंरक्षणक्षम बनाने हेतु प्रतिदिन कठिन साधना की है। मुख्य शिक्षिका शारदा चन्द्रा और मनिषा दहिवेले के साथ सह शिक्षिका नियति, सत्या, तारुणी, वैशाली, डिम्पल ने शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक क्षमता को आकर दिया।
विविध बौद्धिक सत्रों में बौद्धिक, चर्चा, कार्यशाला, गीता पारायण, बोध कथा, समाचार वाचन, श्लोक शुद्ध उच्चारण, गीत गायन, अमृत वचन कथन का प्रशिक्षण दिया गया। शारीरिक सुदृढता हेतु प्रतिदिन योग अभ्यास, दंड, यष्ठी, योग चाप, नियुद्ध, पद-विन्यास और संचलन सिखाए गए।
प्रातः स्मरण और सांय स्मरण के साथ-साथ भजन संध्या, देशभक्ति गीतों की अन्ताक्षरी, गायत्री दीप यज्ञ ध्यान योग, गण-गीत प्रतियोगिता, प्रश्न मंच, नाट्य प्रस्तुति, भारत माता की आरती, मातृहस्तेन भोजनम्, ध्यानयोग इत्यादि आयोजनों में बालिकाओं ने सहृदय सहभागिता दिखाई।
पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से प्रारम्भ में हीं प्रशिक्षिकाओं को एक-एक पौधे वितरित किए गए जिसे 15 दिनों तक निरंतर पोषित कर वे अपने साथ ले गई। सामाजिक समरसता को ध्यान में रखते हुए सभी बालिकाओं ने दो दिन साईं नगर एवं अन्य दो गैर सरकारी संगठनों में अपनी सेवाएँ दी।
मुख्य अतिथि माननीय रजनी रजक जी ने तेजस्वी बेटियों के मात्र 15 दिन में प्रशिक्षित हो, आत्मविश्वास से भरे प्रात्यक्षिक प्रदर्शन की सराहना की। उन्होंने कहा कि बेटियों में निस्वार्थ भाव भरकर उन्हें राष्ट्र के लिए सिद्ध करने वाली राष्ट्र सेविका समिति की कार्यशैली की मैं प्रशंसा करती हूँ। अपने सुखों का त्याग कर “राह कठिन है पर सफलता निश्चित” का भाव ले बेटियों के बढ़ते कदम के कारण ही आज समृद्धि की ओर बढ़ता भारत– आत्मनिर्भर भारत है।
प्रमुख संचालिका माननीय शांता कुमारी जी ने समिति की सभी बहनों एवं उपस्थित अतिथि गण को संबोधित करते हुए अपने पाथेय में कहा कि निस्वार्थ सेवा का हीं दूसरा नाम माँ है। माँ गंगा 10 दिनों तक अविरल बहकर गंगा दशहरा के दिन पृथ्वी पर पहुँची थी। आप सभी भी वर्ग के 15 दिनों के निरंतर साधना के बाद अपने परिवार और समाज में वापस जा रहीं हैं। गंगा की तरह ही निस्वार्थ भाव से निरंतर राष्ट्र की चिंता करना। हमारी भारत माता हमें निस्वार्थ भाव से पोषित और पल्लवित करती है। हम मातृशक्तियों को भी समाज एवं राष्ट्र के लिए बहुत कुछ करना है। स्वामी विवेकानंद जी ने जैसा शिकागो में संबोधित किया था “सभी मतों की जननी” और “अति पुरातन सन्यासी परंपरा”, ऐसी भारत की सभ्यता-संस्कृति का हमें संवर्धन करना है। भारत के सामर्थ्य का हमें संरक्षण करना होगा। धर्म, संस्कृति, परंपरा को अपने आचरण में प्रत्यक्ष लाने से ही संरक्षण संभव है। शक्तियों के गलत हाथों में जाने से दूर्वृत्ति और दुराचार का प्रसार होता है। सहनशक्ति के साथ ही विरोध शक्ति भी आवश्यक है और इसके लिए सामर्थ्य के साथ संगठन की आवश्यकता है। सर्वप्रथम हमें स्वयं जागृत होकर अपने मूल सिद्धांतों का पालन करना होगा। समाज में देशभक्त नागरिक निर्माण हो ऐसा प्रयास करें। संकल्पित परिवार होगा तभी तेजस्वी हिंदू राष्ट्र का पुनर्निर्माण होगा।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय सह घोष प्रमुख माननीय सुश्री प्राची सुभाष पाटिल जी और प्रांत कार्यकारिणी उपस्थित रहीं। धन्यवाद ज्ञापन दुर्ग विभाग कार्यवाहिका माननीय राखी विश्वास जी के द्वारा किया गया। श्रीमती सीमा शर्मा जी एवं करुणा सिंह जी ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया।
