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December 23, 2024 4:26 am

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Kidnapping होते देखने के बाद बदला 17 साल के बाद आखिर पूरा कर दिखाया

Kidnapping

Kidnapping :यह बात एक फिल्मी स्टाइल में सुनने को मजबूर हो जाओगे ऐसा सिलसिला फिल्मी दुनिया में ही देखने को मिलता था लेकिन यह कुछ रियल में हुआ है और अपहरण हुए बेटे ने गुंडो से बदला लेने के लिए एक जीत ठान लिया था और इस कारण उसे आजीवन कारावास तक पहुंचा दिया सजा ऐसा मिला कि मरते दम तक वह जेल की सलाखों से बाहर नहीं आ पाएगा.

Kidnapping की घटना धौलपुर से लगभग कुछ दूर गांव की है

Kidnapping : 17 पहले की बात है जिस समय से बसेड़ी जैसे इलाका में आतंक का गढ़ कहा जाता था उस गांव के पास में गुड्डू काशी और उनके कुछ साथियों को आतंक गढ़ के नाम से जाना जाता था और इन सब आए दिन किसी न किसी को अगवा कर मोटी रकम और परेशान कर घर जमीन जयदात को अपने नाम कर डर दिखा कर तबाह कर देते थे घर वाले इस और लोग डर के मारे गांव छोड़कर निकल जाते थे अगर दूर में रहते थे.

तो वह महीना 2 महीना 3 महीना 4 महीना बाद गांव में जाकर धमकी देकर बेटे बच्चे को अगवा कर लेते थे लोग करे तो क्या करें कोई अपना जमीन जयदात छोड़कर भाग जाते थे लेकिन मैंने जो चीज ठाना हुआ था आखिर पूरा ही किया 17 साल बाद आखिर क्यों लगा 17 साल मुझे यह सब मैं देख कर एक जीत ठान लिया था जो मुझे पूरा करने में आखिर 17 साल लग गया आपको बता दे की गुड्डन कांची और उसके साथियों को उत्तर प्रदेश के आगरा की अदालत ने मरते दम तक जब तक मौत ना हो जाए.

आजीवन कारावास की सजा सुनाए

तब तक आजीवन कारावास की सजा सुनाए यह सभी डाकू 10 फरवरी 2007 को खैरागढ़ निवासी रवि एडवोकेट नाम के वकील को गोली मारते हुए दहशत बनाकर उनके ही बेटे हर्ष गर्ग का अपहरण करने में दोषी सिद्ध पाए गए थे इसके कारण उन्हें यह सजा मिला था जब बेटे हर्ष का Kidnapping किया गया था तब मात्रा बेटे का उम्र था 7 साल और इन डाकुओं ने उसके पिताजी से किसी न किसी बात को लेकर आए दिन जमीन को लेकर खेत को लेकर धमकी दिया करते थे.

तो और पैसे का डिमांड किया करते थे जिसके कारण पूरे गांव में एक डर पैदा हो गया था डाकू हर महीने 2 महीने में मेरे पिता से जबरदस्ती उनका मेहनत का पैसा मांग लिया करते थे और न देने पर उन्हें पूरे गांव वालों के सामने चौराहा पर कपड़ा उतार कर मारते थे या अगवा कर ले जाते थे कभी-कभी तो अगवा करके ले जाते थे 2 महिने बाद तक छोड़ते नहीं थे.

यह सब देखते हुए हर्ष के दिल दिमाग में एक छाप छोड़ दिया था

छाप ऐसा था कि बदला और बदला तो एक दिन लेना ही पड़ेगा पिता का वह अपना छाप को भूल नहीं पाया और Kidnapping के बाद वह अपने माता और अपने घर का ध्यान देने लगा और जब वह घर आता तो अपने घर की स्थिति को देखकर कुछ सोच समझ नहीं पता था करें तो क्या करें इस कारण कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया और इसके साथ-साथ काम भी किया करता था.

जब भी मौका मिलता वह अपने घर में काम अपने खेती को आगे बढ़ाता क्योंकि यही एक जीवन यापन करने का एक साधन था और उसी दिन ठान लिया था कि मुझे बड़ा होकर एक वकील बनना है और बेटे ने कड़ी मेहनत के साथ-साथ अपना मेहनत को दिखाने के लिए एक संघर्ष के रूप में आगे बढ़ता गया और अपना पढ़ाई का सिलसिला जारी रखा और इसके साथ-साथ आखिरकार वह वकील बनी गया यह करवाई मुकदमे 17 साल तक चले खुद उसने अपने Kidnapping हुए डाकुओं के खिलाफ खुद ही कानूनी लड़ाई लड़ने का ठान लिया और लड़ाई लड़कर भी दिखाया.

उच्च न्यायाधीश नीरज कुमार बख्शी के अदालत ने

उस गुंडे डाकू के साथ-साथ उनके सभी साथी को आजीवन कारावास का सजा सुनाया और यह भी कहा कि जब तक उनकी मौत नहीं हो जाते तब तक या जेल की सलाखों में सड़ते रहना चाहिए हम तो आज भी ऐसी कहानी को फिल्मों में सुना करते हैं आप फिल्मों में ही देखा करते थे लेकिन यह वाक्या एक बेटे ने बदला अपने पिता का Kidnapping का बदला लेकर दिखाया यहां तक कई धमकियां उनके घर वालों को मिलता था.

साथ-साथ उनके घर में हमला भी किया जाता था लेकिन न्याय कानून पर भरोसा था पूरी तरीके से था बेटे ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा था कि हां आखिरकार मैं 17 वर्ष तक इस लड़ाई को लड़ा और यह मेरे लिए कोई छोटा-मोटा बात नहीं था हम इतने सालों में क्या से क्या नहीं देखा जिसे मैं अपने शब्दों में बयां नहीं कर सकता कई धमकियां तनावपूर्ण गरीबी सब चीज मैंने देखा हर एक दिन को मैं अपना एक जीत बनाकर चला और हर एक महीने में तारीख जो मिलता था कि कोर्ट में पेश होना है मैं पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोर्ट जाता था.

धमकियां मिलने के बावजूद कोर्ट से आता था

पिता के हर एक कदम कदम पर उनके साथ में देते गया मैं अपने पिता के साथ कभी पीछे हटकर नहीं देखा और मेरे पिता ने ही मुझे इतना काबिलियत बनाया कि बदला जरूर लेना है यह ठान लिया था पिता के साथ रहना और उनका यह प्रतिबिंब बनाकर उनके साथ जो खड़ा था हर पल-पल में हमें धमकी का साया हमारे साथ-साथ चला करता था कई प्रकार के हमने कठिनाई झेले लेकिन मैं कह सकता हूं की देर आई दुरुस्त आई यह कहानी आखिर हमें सुनने को मिला कहते हैं ना कानून का हाथ बहुत लंबा होता है.

अगर कानून चाहे तो क्या नहीं कर सकता वैसे ही वाकया देखने को मिला और मैंने उस दिन को ठान लिया और अंत हमें न्याय मिला हम कह सकते हैं कि ऐसे डाकुओं के ख्वाब से गांव में कोई रहना नहीं चाहते थे और जैसे ही इन डाकुओं को सजा हुआ उसके बाद पूरे गांव में खुशी का माहौल बन गया था जो गांव एक बंजर जमीन बन गया था वह गांव अब एक हरियाली सा छा गया खेतों में फसल देखकर और गलियारों में फूलों की महक देखकर ऐसा लगता है कि मैं चांद पर एक जमीन खरीद लिया हो वह कर दिखाया.

आपको बता दे कि जैसे ही न्यायालय ने जो सजा सुनाया उसके बाद से यह डाकू गुंडे आज तक कभी जेल से बाहर की ओर अपना पैर तक नहीं रखे उनका पूरी तरीके से डर धमकी और उनके साथ-साथ जैसे ही जेल के सलाखों में गए वैसे छोटे-मोटे जो गुंडे इनके इशारों में वह गांव में डर भय दिखाते थे वह भी गांव छोड़कर चले गए और कभी गांव में भटक कर भी कभी धमकाने के लिए या फिर अपराह्न करने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाए इस तरह मैंने अपने पिता का बदला लिया और बंजर जमीन जैसे गांव को मैं फिर से हरा भरा करके दिखाया.

@kcgnews
Author: @kcgnews

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